Considerations To Know About hindi story

अगले दिन वह एक अलग तरह के बर्तन में किसान को खाना देने गयी और किसान को व्यस्त देख कर खाना वहीँ रख कर घर वापस आ गयी। कुछ देर बाद एक सियार वहां आया और खाने के बर्तन में मुँह डाल के खाना खाने की कोशिश करने लगा। पर इस बार वह सफल नहीं हुआ और उसका मुँह बर्तन में फंस गया। सियार हल्ला मचाने लगा। सियार को इस हालत में देख के किसान समझ गया की कल उसका खाना कहा गायब हुआ था। वह डंडा ले कर सियार के पास आया .

एक लाठी निकाली और कालिया की मरम्मत कर दी।

(एक) बड़े-बड़े शहरों के इक्के-गाड़ी वालों की ज़बान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है, और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बंबूकार्ट वालों की बोली का मरहम लगावें। जब बड़े-बड़े शहरों की चौड़ी सड़कों पर घोड़े की पीठ चाबुक से धुनते हुए, इक्के वाले चंद्रधर शर्मा गुलेरी

उत्तरा नाम के एक गाँव में कुसलनाथ नाम का एक पुजारी अपनी पत्नी और छह बेटों के साथ रहता था। वह धनी-मानी व्यक्ति था लेकिन कुछ दुर्भाग्य के कारण उसे पैसों की समस्या होने लगीं। स्थिति इतनी खराब थी कि पुजारी को जीवन यापन के लिए अतिरिक्त काम करने पड़े। वह जंगल से बांस की लकड़ी इकट्ठा करता था। एक दिन उसने जंगल की आग में फंसे एक छोटे से नाग को देखा। जैसे ही उसने नाग को बचाया, उसने उसे काटने की कोशिश की। इसके बाद पुजारी रोने लगा। नाग ने महसूस किया कि पुजारी सिर्फ उसकी मदद कर रहा था और उसे काटना गलत था। उसने अपने परिवार की भलाई के लिए पुजारी को दो रत्न भेंट किए। पुजारी ने फिर उसी स्थान पर नाग के सम्मान में एक छोटा मंदिर बनवाया।

अगर कबरी बिल्ली घर-भर में किसी से प्रेम करती थी तो रामू की बहू से, और अगर रामू की बहू घर-भर में किसी से घृणा करती थी तो कबरी बिल्ली से। रामू की बहू, दो महीने हुए मायके से प्रथम बार ससुराल आई थी, पति की प्यारी और सास की दुलारी, चौदह वर्ष की बालिका। भंडार-घर भगवतीचरण वर्मा

उनकी पूरी योजना जानने के लिए हमारा पॉडकास्ट सुनें ।

दादा जी ने देखा दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाई। अब बिल्ली की भूख शांत हो गई। वह दोनों आपस में खेलने लगे। इसे देखकर ढोलू-मोलू बोले बिल्ली बच गई दादाजी ने ढोलू-मोलू को शाबाशी दी।

हिरनी गीदड़ के पीछे दौड़ने लगी। गीदड़ अपने प्राण लेकर वहां से रफूचक्कर हो गया।

पेंटिंग की कोई भी प्रतियोगिता स्कूल में होती, तो उसमें वह प्रथम स्थान प्राप्त करता। मुकेश की पेंटिंग की सराहना स्कूल में भी की जाती थी।

यह कहानी हमें कभी भी चोरी न करने और हमेशा नेक रास्ते पर चलने की सीख देती है।

हरियाणा में बीफ़ के शक़ में बंगाल के एक युवक की पीट-पीटकर हत्या, क्या है पूरा मामला

एक समय की बात है, एक हरे-भरे घास के मैदान में, अंजलि नाम की एक चींटी और वैभव नाम का एक टिड्डा रहता था। अंजलि एक मेहनती चींटी थी जो सर्दियों के लिए भोजन इकट्ठा करने में अपना दिन बिताती थी। और वही दूसरी ओर, वैभव ने अपना समय खेलने और गाने में बिताया, और इतनी मेहनत करने के लिए अंजलि का मज़ाक उड़ाया। “तुम इतनी मेहनत क्यों करती here हो, अंजलि? आओ और आनंद लो!” वैभव ने कहा.

अगर कबरी बिल्ली घर-भर में किसी से प्रेम करती थी तो रामू की बहू से, और अगर रामू की बहू घर-भर में किसी से घृणा करती थी तो कबरी बिल्ली से। रामू की बहू, दो महीने हुए मायके से प्रथम बार ससुराल आई थी, पति की प्यारी और सास की दुलारी, चौदह वर्ष की बालिका। भंडार-घर भगवतीचरण वर्मा

Image: Courtesy Amazon Very first published in 1927, this Hindi fiction e book is actually a poignant exploration of social troubles and human emotions in early twentieth-century India. The story revolves throughout the protagonist, Nirmala, a youthful and innocent bride who will become a sufferer of societal norms, customs, as well as prevailing patriarchy. Premchand skillfully weaves a narrative that delves in to the harsh realities confronted by women in the conservative Culture. Nirmala’s journey is marked by tragedy, as she navigates from the complexities of the dysfunctional marriage, societal anticipations, along with the troubles of currently being a girl in that period.

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